लखनऊ
अखिलेश यादव से वनाधिकार आंदोलन के संस्थापक किशोर उपाध्याय की मुलाकात
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से वनाधिकार आंदोलन के संस्थापक किशोर उपाध्याय पूर्व विधायक उत्तराखण्ड ने लखनऊ में भेंटकर गंगा-यमुना एवं हिमालय को बचाने तथा वनवासियों को वनों पर उनके पुश्तैनी अधिकार दिलाने एवं पर्यावरण सम्बन्धित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने इस सम्बंध में ज्ञापन भी दिया। उपाध्याय ने यादव से संसद के वर्तमान सत्र में इन मुद्दों को उठाने का आग्रह करते हुए कहा कि इस सद्प्रयास के लिए उन्हें सभी साधुवाद देंगे। इस अवसर पर पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री राजेन्द्र चौधरी एवं उत्तराखण्ड समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष श्री सत्य नारायण सचान भी उपस्थित थे।
हिमालयी नदियों में कम हो रहे पानी और प्रदूषण
किशोर उपाध्याय ने हिमालयी नदियों में कम हो रहे पानी और प्रदूषण पर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि गंगा के न रहने पर गोमुख से गंगा सागर तक एक विशाल रेगिस्तान बनने की सम्भावना बलवती होती जा रही है।
अखिलेश यादव को इस सम्बंध में ज्ञापन देकर मांग की गई है कि जल-जंगल और जमीन पर स्थानीय समुदायों का अधिकार हो और उन पर उनके पुश्तैनी अधिकार और हक-हकूक बहाल किए जाए। हिमालय के लिए सतत समावेशी विकास की नीति बनाई जाए। हिमालयी क्षेत्र के विकास के लिए केन्द्र में अलग मंत्रालय का गठन किया जाए क्योंकि मध्य हिमालय के विकास का कोई मॉडल अभी तक विकसित नहीं हुआ है।
कानून बने जिसमें वन व अन्य भूमि को भी शामिल किया जाए
ज्ञापन में कहा गया है कि मंडल कमीशन के 27 प्रतिशत आरक्षण के सभी मानकों पर मध्य हिमालय के निवासी खरे उतरते हैं और उन्हें केन्द्र सरकार की आरक्षण की परिधि में शामिल किया जाए। फसल की हानि पर प्रति नाली रूपया 5 हजार, एक यूनिट आवास निर्माण के लिए लकड़ी, रेत-बजरी व पत्थर निःशुल्क मिले, शिक्षा व चिकित्सा की निःशुल्क व्यवस्था हो, भू-कानून बने जिसमें वन व अन्य भूमि को भी शामिल किया जाए और राज्य में तुरन्त चकबंदी हो।
उपाध्याय ने गंगा के जलग्रहण क्षेत्र के निवासियों के वनों पर उनके पुश्तैनी अधिकारों एवं हक-हकूकों के एवज में परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार पक्की सरकारी नौकरी, केन्द्र सरकार की सेवाओं में आरक्षण, बिजली पानी व रसोई गैस निःशुल्क, जड़ी बूटियों पर स्थानीय समुदायों को अधिकार तथा जंगली जानवरों से जनहानि पर परिवार के एक सदस्य को पक्की सरकारी नौकरी तथा 50 लाख की क्षतिपूर्ति की जाए।
ज्ञापन में कहा गया है कि गंगा की अविरलता और निर्मलता तभी सम्भव होगी जब जलग्रहण क्षेत्र के जलचर, वनचर, पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों की रक्षा की जाएगी। अखिलेश यादव ने आश्वस्त किया कि समाजवादी पार्टी हर मंच पर हिमालय, गंगा, यमुना तथा पर्यावरण बचाने के संघर्ष में सहयोगी होगी।