फ्रांस के राजूदत ने ऐतिहासिक इमारतों का किया अवलोकन
न्यूज़ ऑफ़ इंडिय ( एजेन्सी)
शाही पुल को देखकर तत्कालीन कारीगरों को सराहा
जौनपुर-
भारत दौरे के दौरान फ्रांस के राजदूत इमैनूवएल ने शनिवार को जिले की ऐतिहासिक इमारतों का अवलोकन किया। राजदूत प्रयागराज से चलकर जौनपुर प्रात: काल पहुंचे थे। उन्होंने शाही पुल, शाही किला, अटाला मस्जिद, लाल दरवाजा, बड़ी मस्जिद, झझरी मस्जिद, चार अंगुल मस्जिद का निरीक्षण किया। उन्होंने ऐतिहासिक इमारतों की सराहना भी की और कहाकि जो शाही पुल बनाया गया है यह बहुत ही मनमोहक और सुंदर है। अटाला मस्जिद को देखकर कहा इन ऐतिहासिक इमारतों को देखकर ऐसा लग रहा है कि कितनी मेहनत से कारीगरों ने इसे तराशा होगा निरीक्षण के समय ज्वाइंट मजिस्ट्रेट हिमांशु नागपाल, क्षेत्राधिकारी नगर सहित पुलिस के जवान मौजूद रहे।
अटाला मस्जिद शहर में 15वीं-सदी के बनी हुयी है
बतातें चलें कि अटाला मस्जिद शहर में 15वीं-सदी के बनी हुयी है। जौनपुर के शर्की सल्तनत की यह निशानी है। ऐतिहासिक रूप से इस मस्जिद का महत्व है। इस मस्जिद की बनावट के कारण अक्सर विदेशी मेहमान इसकी खूबसूरती को निहाने आते हैं। मस्जिद कानिर्माण सुलतान इब्राहिम शाह ने करवाया था। यह मस्जिद वर्तमान में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है। वहीं गोमती नदी के ऊपर बना शाही पुल जौनपुर ही नहीं अपितु भारत के सबसे पुराने पुलों में से एक है। इस पुल का स्थापत्य अपने आप में अद्वितीय है। शाही पुल को मुनीम खान पुल या कुछ लोग अकबरी पुल भी कहते है। ये सेतु अकबर के राजस्व से बनाया गया था और फज़ल अली के निर्देशन में तैयार हुआ था।
पुल को साधने में 15 गुंबदीय स्तंभ बनाये गये थे
मुगलों के प्रभावशाली स्थापत्यकौशल के उदाहरण इस पुल को साधने में 15 गुंबदीय स्तंभ बनाये गये थे। ये सेतु वर्तमान में भी प्रयोग किया जाता है। इसके रास्ते में छोटे आरामगाह गुंबद बने है जहां लोग आराम करते देखे जा सकते है। जौनपुर के शाहीपुल पर अंग्रेजी लेखक रूडयॉर्ड किपलिंग ने अपनी अद्भुत् कविता लिखी थी तथा कई विदेशी लेखकों नें इस पुल के बारे में लिखा। जौनपुर के इस पुल की तुलना एक अंग्रेजी घुमक्कड़ जो 19वीं शताब्दी में आया था ने लंदन ब्रिज से किया था। आज भी शाही पुल अपनी शौर्य का गान करता हुआ खड़ा है।